देश के करोड़ों नौकरीपेशा लोगों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ एक महत्वपूर्ण संस्था है जो उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा का सबसे बड़ा आधार बनती है। दशकों से यह संगठन संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की भविष्य की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में सहायक भूमिका निभा रहा है। हर महीने कर्मचारी अपने वेतन से एक निश्चित हिस्सा इस खाते में जमा करता है और उसके नियोक्ता की ओर से भी समान या निर्धारित योगदान दिया जाता है। साल दर साल यह राशि बढ़ती रहती है और उस पर अच्छी दर से ब्याज भी मिलता रहता है। जब कर्मचारी अपनी सेवा की निर्धारित अवधि पूरी करके रिटायर होता है तो उसके खाते में जमा यह बड़ी राशि उसके बुढ़ापे का सहारा बनती है।
सेवानिवृत्ति पर राशि निकालने के अधिकार
ईपीएफओ के वर्तमान नियमों के अनुसार जब कोई कर्मचारी अपनी निर्धारित सेवानिवृत्ति की आयु पूरी कर लेता है और अपनी नौकरी से आधिकारिक रूप से सेवानिवृत्त हो जाता है तो उसे अपने भविष्य निधि खाते से पूरी जमा राशि निकालने का पूर्ण अधिकार मिल जाता है। इस समय निकाली जाने वाली राशि पर किसी भी प्रकार का आयकर नहीं लगता क्योंकि यह कर मुक्त होती है। सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी के पास दो विकल्प उपलब्ध होते हैं। पहला विकल्प यह है कि वह अपनी पूरी जमा राशि को एक साथ एकमुश्त निकाल ले। दूसरा विकल्प यह है कि वह कर्मचारी पेंशन योजना का चयन करे जिसमें उसे जीवन भर हर महीने एक निश्चित राशि पेंशन के रूप में मिलती रहेगी। निर्धारित आयु पूरी होने के बाद खाते में न तो कर्मचारी का और न ही नियोक्ता का कोई नया योगदान जमा होता है।
तीन साल में खाता हो जाता है निष्क्रिय
ईपीएफओ के महत्वपूर्ण नियमों में से एक नियम यह है कि यदि कोई सेवानिवृत्त कर्मचारी अपने खाते से तीन साल की अवधि तक कोई राशि नहीं निकालता या कोई दावा नहीं करता तो उसका खाता स्वचालित रूप से निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। यह नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि कई बार कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद अपनी जमा राशि निकालना भूल जाते हैं या उन्हें इसकी उचित जानकारी नहीं होती। कुछ लोग सोचते हैं कि राशि खाते में पड़ी रहेगी और ब्याज मिलता रहेगा इसलिए वे जल्दी नहीं निकालते। लेकिन तीन साल की अवधि पूरी हो जाने के बाद हालात बदल जाते हैं। यह ध्यान रखना जरूरी है कि खाता निष्क्रिय होने के बाद भी जमा राशि पूरी तरह सुरक्षित रहती है और वह कहीं खो नहीं जाती। कर्मचारी या उसके कानूनी उत्तराधिकारी बाद में भी इसे निकाल सकते हैं।
ब्याज न मिलने का बड़ा नुकसान
खाता निष्क्रिय होने का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण नुकसान यह होता है कि उस खाते में जमा राशि पर अब कोई ब्याज नहीं मिलता। जबकि सक्रिय खातों पर ईपीएफओ हर साल अच्छी दर से ब्याज देता है जो आमतौर पर आठ से साढ़े आठ प्रतिशत के बीच होता है। यह ब्याज कंपाउंडिंग के आधार पर मिलता है जिससे राशि तेजी से बढ़ती है। लेकिन निष्क्रिय खाते में यह लाभ पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। इसका मतलब यह है कि जो राशि खाते में पड़ी है वह वैसी की वैसी ही रहती है जबकि बाजार में महंगाई लगातार बढ़ती रहती है। समय के साथ पैसे की क्रय शक्ति घटती है। जो राशि आज एक लाख रुपये है वह दस साल बाद उसी क्रय शक्ति की नहीं रहेगी। इसलिए ब्याज न मिलना एक बहुत बड़ा वित्तीय नुकसान है।
राशि निकालने में अतिरिक्त परेशानी
एक बार खाता निष्क्रिय हो जाने के बाद यदि कर्मचारी या उसके परिवारजन राशि निकालना चाहें तो उन्हें अतिरिक्त प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले खाते को पुनः सक्रिय करवाना होता है जिसके लिए विभिन्न दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं। पहचान पत्र, पते का प्रमाण, बैंक खाते का विवरण और अन्य कागजात की आवश्यकता होती है। यह पूरी प्रक्रिया में कई सप्ताह या महीने भी लग सकते हैं। यदि तत्काल पैसों की जरूरत है तो यह देरी बहुत समस्याजनक हो सकती है। विशेष रूप से यदि कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार के सदस्य राशि निकालना चाहें तो उन्हें और भी अधिक दस्तावेज जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र आदि की जरूरत पड़ती है। इससे पूरी प्रक्रिया और जटिल हो जाती है।
समय पर कार्रवाई करना आवश्यक
सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए सबसे बुद्धिमानी भरी सलाह यह है कि वे अपनी रिटायरमेंट के तुरंत बाद या अधिकतम तीन साल की अवधि समाप्त होने से पहले अपने खाते के संबंध में निर्णय ले लें। यदि आपको तत्काल पूरी राशि की आवश्यकता नहीं भी है तो भी कम से कम आंशिक राशि अवश्य निकाल लें ताकि आपका खाता सक्रिय बना रहे। आप चाहें तो पचास प्रतिशत राशि निकालकर बाकी को बाद के लिए छोड़ सकते हैं। जो कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्य हैं उन्हें तो मासिक पेंशन मिलती ही रहती है लेकिन जिन्होंने पेंशन योजना नहीं चुनी है उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। सेवानिवृत्ति के समय अपनी भविष्य की वित्तीय जरूरतों का सही आकलन करना बहुत जरूरी है।
अपने खाते पर रखें नजर
हर ईपीएफ खाताधारक के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वह अपने खाते की स्थिति पर नियमित रूप से निगरानी रखे। आज के डिजिटल युग में यह बहुत आसान हो गया है। ईपीएफओ की आधिकारिक वेबसाइट और उमंग मोबाइल ऐप के माध्यम से कोई भी कर्मचारी अपने खाते की संपूर्ण जानकारी कभी भी देख सकता है। खाते में जमा कुल राशि, मिला हुआ ब्याज, योगदान का विवरण सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध रहता है। सेवानिवृत्ति से पहले ही अपने सभी व्यक्तिगत विवरण अपडेट करा लेने चाहिए। खासकर नॉमिनी की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपके पते, मोबाइल नंबर या बैंक खाते में कोई बदलाव हुआ है तो उसे तुरंत अपडेट करवाएं। सही और अपडेट जानकारी होने से भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सकता है।
राशि का बुद्धिमानी से उपयोग
भविष्य निधि की जमा राशि सेवानिवृत्त जीवन की वित्तीय सुरक्षा की रीढ़ होती है इसलिए इसका उपयोग बहुत सोच-समझकर और योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए। कुछ राशि तो तत्काल खर्चों के लिए अलग रख लेनी चाहिए। बाकी राशि को सुरक्षित निवेश विकल्पों जैसे बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम या पोस्ट ऑफिस की योजनाओं में लगाना समझदारी है। इससे नियमित आय मिलती रहेगी। स्वास्थ्य बीमा लेना भी बहुत जरूरी है क्योंकि बढ़ती उम्र में चिकित्सा खर्च काफी बढ़ जाते हैं। एक हिस्सा आपातकालीन फंड के रूप में हमेशा अलग रखना चाहिए। यदि घर की मरम्मत या बच्चों की शादी जैसे बड़े खर्च हैं तो उनके लिए योजना बना लेनी चाहिए। पूरी राशि एक साथ खर्च न करें बल्कि इसे विभिन्न जरूरतों में बांट लें।
परिवार को दें जानकारी
अपने ईपीएफ खाते की जानकारी केवल अपने पास न रखें बल्कि अपने परिवार के सदस्यों विशेषकर अपने जीवनसाथी और बच्चों को भी इसकी पूरी जानकारी दें। उन्हें बताएं कि आपका खाता संख्या क्या है, यूएएन नंबर क्या है और राशि निकालने की प्रक्रिया क्या है। यदि दुर्भाग्यवश आपके साथ कोई अनहोनी हो जाए तो आपके परिवार को राशि निकालने में आसानी होगी। नॉमिनी का विवरण सही और अपडेट रखें। यदि आपने शादी के बाद नॉमिनी नहीं बदली है तो तुरंत बदल दें। नॉमिनेशन फॉर्म भरकर अपने पास एक कॉपी जरूर रखें। इन छोटी-छोटी सावधानियों से भविष्य में बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
निष्कर्ष
ईपीएफओ खाते की जमा राशि आपकी मेहनत की कमाई है और सेवानिवृत्ति के बाद आपके जीवन का आधार है। तीन साल में खाता निष्क्रिय होने के नियम को गंभीरता से लें। समय पर राशि निकालें या आंशिक निकासी करें ताकि आपको ब्याज का लाभ मिलता रहे। अपने खाते पर नियमित नजर रखें और सभी जानकारी अपडेट रखें। राशि का बुद्धिमानी से उपयोग करें और अपने परिवार को भी इसकी जानकारी दें।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के नियम और प्रक्रियाएं समय-समय पर बदल सकती हैं। अपने ईपीएफ खाते की वर्तमान स्थिति और नवीनतम नियमों की जानकारी के लिए कृपया ईपीएफओ की आधिकारिक वेबसाइट epfindia.gov.in पर जाएं या अपने नियोक्ता के मानव संसाधन विभाग से संपर्क करें। किसी भी महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय लेने से पहले आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करना आवश्यक है। यह लेख किसी वित्तीय या कानूनी सलाह का स्थान नहीं लेता।








