भारत में बैंक लोगों की मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने का सबसे भरोसेमंद जरिया माने जाते हैं। लोग अपनी पूरी जिंदगी की बचत बैंकों में इसलिए रखते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि उनका पैसा सुरक्षित है और जरूरत पड़ने पर वापस मिल जाएगा। लेकिन जब किसी बैंक को बंद करने या उस पर ताला लगाने की खबर आती है तो हजारों ग्राहकों के दिलों में डर की लहर दौड़ जाती है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ सहकारी बैंकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है और उन्हें बंद करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद उन हजारों लोगों की चिंता बढ़ गई है जिनका पैसा इन बैंकों में जमा था।
यह पहली बार नहीं है जब किसी बैंक को बंद किया गया हो। पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जब किसी बैंक की वित्तीय स्थिति खराब होने या नियमों का पालन न करने के कारण उसे बंद करना पड़ा। हर बार जब ऐसा होता है तो आम लोगों का बैंकिंग सिस्टम पर से भरोसा डगमगाने लगता है। आखिर क्यों बार-बार ऐसी स्थिति बनती है और इसका समाधान क्या है? आइए विस्तार से समझते हैं।
रिजर्व बैंक ने क्यों उठाया यह कदम
भारतीय रिजर्व बैंक जो कि देश का केंद्रीय बैंक है और सभी बैंकों की निगरानी करता है, ने अपनी जांच में पाया कि कई सहकारी बैंक लंबे समय से बैंकिंग नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। जब आरबीआई की टीम ने इन बैंकों की गहन जांच की तो उन्हें पैसों के हिसाब-किताब में भारी गड़बड़ियां मिलीं। कुछ बैंकों में ऐसा पाया गया कि जमाकर्ताओं के पैसों का सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया। बजाय सुरक्षित निवेश करने के, इन पैसों को जोखिम भरी जगहों पर लगा दिया गया। कई मामलों में तो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बड़ी रकम के कर्ज भी बांटे गए जो कभी वापस नहीं आए।
जांच में यह भी सामने आया कि इन बैंकों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार फैला हुआ था। कुछ अधिकारियों ने मिलीभगत करके ग्राहकों के पैसे का गलत इस्तेमाल किया। आरबीआई ने पाया कि इन बैंकों की आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि अगर कोई ग्राहक अपना पैसा निकालना चाहे तो बैंक उसे वापस करने की स्थिति में नहीं है। ऐसी गंभीर स्थिति देखते हुए केंद्रीय बैंक को मजबूरन इन संस्थाओं का संचालन रोकना पड़ा ताकि और ज्यादा लोगों का नुकसान न हो।
ग्राहकों की जमा राशि का क्या होगा
अब सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जिन लाखों लोगों ने इन बैंकों में अपनी मेहनत की कमाई जमा कर रखी है उनका क्या होगा। क्या उनका पैसा डूब जाएगा या उन्हें वापस मिलेगा। इस बारे में आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि ग्राहकों के हितों की रक्षा की जाएगी। भारत में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी डीआईसीजीसी नाम की एक संस्था है जो बैंक में पैसा जमा करने वालों की सुरक्षा के लिए काम करती है। यह संस्था हर जमाकर्ता को पांच लाख रुपये तक की गारंटी देती है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी बैंक पर ताला लग जाता है तो भी ग्राहक को अधिकतम पांच लाख रुपये तक की रकम वापस मिल सकती है।
हालांकि यह राहत उन लोगों के लिए अधूरी है जिनके खाते में पांच लाख से ज्यादा पैसा जमा है। अगर किसी व्यक्ति के बैंक खाते में दस लाख रुपये थे तो उसे केवल पांच लाख की गारंटी मिलेगी। बाकी बचे पांच लाख रुपये तभी मिलेंगे जब बैंक की संपत्तियां बेची जाएंगी और उससे मिले पैसे से भुगतान किया जाएगा। यह प्रक्रिया काफी लंबी होती है और कई बार पूरी रकम भी वापस नहीं मिल पाती। इसलिए जिन लोगों का ज्यादा पैसा फंसा है उनकी चिंता स्वाभाविक है।
बैंकिंग प्रणाली में सुधार की सख्त जरूरत
यह पूरा घटनाक्रम फिर से उसी पुराने सवाल को सामने लाता है कि आखिर हमारे बैंकिंग सिस्टम में ऐसी परेशानियां बार-बार क्यों आती हैं। विशेषज्ञों और जानकारों का मानना है कि खासकर सहकारी बैंकों में पारदर्शिता और निगरानी की बहुत कमी है। बड़े वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में इन छोटे बैंकों पर उतनी सख्त निगरानी नहीं होती। इनके संचालन में स्थानीय राजनीति का भी काफी दखल देखने को मिलता है। कई बार राजनीतिक दबाव में आकर इन बैंकों के प्रबंधक गलत निर्णय ले लेते हैं। किसी के कहने पर बिना उचित जांच के बड़े कर्ज दे दिए जाते हैं जो फिर कभी वापस नहीं आते।
इसके अलावा इन बैंकों में काम करने वाले कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण भी नहीं मिल पाता। आधुनिक बैंकिंग तकनीक और जोखिम प्रबंधन की समझ की कमी भी एक बड़ा कारण है। अब समय आ गया है कि बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। नियमों को और सख्त बनाया जाए और उनका पालन सुनिश्चित किया जाए। समय-समय पर सभी बैंकों की गहन ऑडिट होनी चाहिए ताकि किसी भी गड़बड़ी को शुरुआत में ही पकड़ा जा सके।
ग्राहकों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए
इस पूरे प्रकरण से आम लोगों को कुछ महत्वपूर्ण सबक लेने चाहिए। सबसे पहली और जरूरी बात यह है कि अगर आप किसी छोटे या सहकारी बैंक में अपना पैसा जमा कर रहे हैं तो पहले यह जरूर जांच लें कि वह बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से मान्यता प्राप्त है या नहीं। केवल उन्हीं बैंकों में पैसा रखें जो आरबीआई के नियमों के तहत काम करते हैं।
दूसरी महत्वपूर्ण सलाह यह है कि अपनी पूरी जमा पूंजी एक ही बैंक में न रखें। अपने पैसों को दो-तीन अलग-अलग बैंकों में बांटकर रखें ताकि अगर किसी एक बैंक में कोई समस्या आए तो आपकी पूरी बचत खतरे में न पड़े।
तीसरी बात यह कि समय-समय पर अपने बैंक की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी लेते रहें। अगर आपको लगे कि बैंक में कुछ गड़बड़ है तो तुरंत सतर्क हो जाएं। सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों पर बिना सोचे-समझे भरोसा न करें लेकिन साथ ही संकेतों को भी नजरअंदाज न करें। हमेशा आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। बैंकों के बंद होने या उन पर कार्रवाई से संबंधित जानकारी सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। किसी विशेष बैंक के बारे में नवीनतम और आधिकारिक जानकारी के लिए कृपया भारतीय रिजर्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट देखें। अपने पैसे से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी जानकारी की सटीकता या उसके उपयोग से होने वाले किसी भी परिणाम के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।








